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सचिन तेंदुलकर कि जिवनी

                                सचिन तेंदुलकर कि जीवनी




नाम : सचिन आर तेंदुलकर
पिता : रमेश तेंदुलकर
माता : रजनि रमेश तेंदुलकर
पत्नि : अंजलि सचिन तेंदुलकर
पुत्र : अर्जुन सचिन तेंदुलकर
पुत्रि: सारा सचिन तेंदुलकर
जन्म: २४ अप्रिल १९७३
जन्म स्थल : मुम्बई

            सचिन रमेश तेंदुलकर क्रिकेट इतियास मे विश्व क्रिकेट के सर्व श्रेश्थ बल्लेबाजो मे से एक माने जाते हेेे। तेंदुलकर ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। कई रिकॉर्ड जैसे सर्वोच्च ODI और सबसे अधिक टेस्ट रन आदि उनके ही नाम पर हैं।
             भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह सर्वप्रथम खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित एकमात्र क्रिकेट खिलाड़ी हैं। सन् २००८ में वे पद्म विभूषण से भी पुरस्कृत किये जा चुके है। सन् १९८९ में अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण के पश्चात् वह बल्लेबाजी में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने टेस्ट व एक दिवसीय क्रिकेट, दोनों में सर्वाधिक शतक अर्जित किये हैं। वे टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। इसके साथ ही टेस्ट क्रिकेट में १४००० से अधिक रन बनाने वाले वह विश्व के एकमात्र खिलाड़ी हैं। उन्होंने सबसे अधिक 100 शतक बनाए हैं। एकदिवसीय मैचों में भी उन्हें कुल सर्वाधिक रन बनाने का कीर्तिमान प्राप्त है। 

प्रारंभिक जीवन : 

       24 अप्रैल 1973 को राजापुर के मराठी परिवार में जन्मे सचिन का नाम उनके पिता रमेश तेंदुलकर ने  संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था। जो उनके पसंदीदा थे। सचिन के एक भाई नितिन तेंदुलकर और एक बहन सविताई तेंदुलकर भी हैं। सामान्य परिवार में बढे हुये सचिन ने अपनी शिक्षा मुंबई के शारदाश्रम विश्वविद्यालय में की।      

       १९९५ में सचिन तेंदुलकर का विवाह अंजलि तेंदुलकर से हुआ। सचिन के दो बच्चे हैं  सारा और अर्जुन।

                      

        उनके भाई अजित तेंदुलकर इन्होंने बचपन में ही सचिन के अंदर के Cricketer को पहचानकर उन्हें सही से मार्गदर्शन किया।  शारदाश्रम विद्यामन्दिर में उन्होंने प्रशिक्षक (कोच) रमाकान्त अचरेकर के सान्निध्य में अपने क्रिकेट जीवन का आगाज किया। तेज गेंदबाज बनने के लिये उन्होंने एम.आर.एफ. पेस फाउण्डेशन के अभ्यास कार्यक्रम में शिरकत की पर वहाँ तेज गेंदबाजी के कोच डेनिस लिली ने उन्हें पूर्ण रूप से अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा।      

       इनके पिता ने इनका दाखिला  रमाकांत आचरेकर के यहाँ करा दिया जिन्होंने सचिन के क्रिकेट प्रतिभा को अच्छी तरह से निखारा. इन्होंने सचिन को सक्षम शिक्षा दी। वही सचिन तेज गेदबाजी सीखने के लिए M.R.F. Foundation के ट्रेनिंग कैंप में गये जहाँ उन्हें तेज गेदबाजी के कोच डेनिस लिली ने अपनी बल्लेबाजी पर पूरा ध्यान देने के लिए कहा और तब से सचिन बल्लेबाजी करने लगे. 
                              


       कोच रमेश आचरेकर का सचिन को अभ्यास कराने का तरीका बिल्कुल अनोखा था. वह क्रीज पर विकेट के नीचे 1 रूपये का सिक्का रखते थे. अगर किसी गेदबाज ने सचिन को आउट कर दिया तो यह सिक्का उस गेदबाज का हो जाता था और अगर सचिन आउट नहीं हुए तो यह सिक्का सचिन का हो जाता था. सचिन ने अपने गुरु से ऐसे ही 13 सिक्के जीते जो अभी भी सचिन के पास है. इस तरह से सचिन के गुरु ने सचिन को बल्लेबाजी में निपुण बनाया. 

       सचिन के कोच अचरेकर सचिन को सुबह स्कूल जाने से पहले व शाम को स्कूल से आने के बाद क्रिकेट की ट्रेनिंग दिया करते थे| सचिन बहुत मेहनती थे, वे लगातार प्रैक्टिस किया करते थे, जब वे थक जाया करते थे, तब कोच स्टंप में 1 रुपय का कॉइन रख दिया करते थे, जिससे सचिन आगे खेलते रहे| सचिन खेलते रहते थे और पैसे जोड़ा करते थे

      हँरिस शिल्ड मुकाबले में विनोद कांबली के साथ निजी 326 रन करते हुये 664 रनों की विक्रमी भागीदारी करने का पराक्रम किया और 15 साल की उम्र में वो मुंबई टीम में शामिल हुये। 1988 में सचिन ने स्टेट लेवल के मैच में मुंबई की तरफ से खेलकर अपने करियर की पहली सेंचुरी मारी थी| पहले ही मैच के बाद उनका चयन नेशनल टीम के लिए हो गया था और 11 महीनों बाद सचिन ने पहली बार इंटरनेशनल मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला, जो उस समय की सबसे दमदार टीम मानी जाती थी|

          सचिन ने सन 1990 में इंग्लैंड दौरे में अपने टेस्ट क्रिकेट का पहला शतक लगाया जिसमे उन्होंने नाबाद 119 रन बनाये इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के टेस्ट मुकाबलों में भी सचिन का प्रदर्शन यही रहा। सचिन की प्रतिभा और क्रिकेट तकनीक को देखते हुए सभी ने उन्हें डॉन ब्रेडमैन की उपाधि दी जिसे बाद में डॉन ब्रेडमैन ने भी खुद इस बात को स्वीकार करा. इसी सीरीज में सचिन ने पहली बार वन डे मैच खेला| 1990 में सचिन ने इंग्लैंड के हिलाफ़ पहला टेस्ट सीरीज खेली, जिसमें उन्होंने 119 रनों की पारी खेली और दुसरे नंबर के सबसे छोटे प्लेयर बन गए जिन्होंने सेंचुरी मारी

          1996 के वर्ल्ड कप के समय सचिन को टीम का कप्तान बना दिया गया| 1998 में सचिन ने कप्तानी छोड़ दी, 1999 में उन्हें फिर कप्तान बना दिया गया| कप्तानी के दौरान सचिन ने 25 में से सिर्फ 4 टेस्ट मैच जीते थे, जिसके बाद से सचिन ने कभी भी कप्तानी ना करने का फैसला कर लिया|
         
        सचिन देखने में सीधा-सादा इंसान है । वह अति प्रसिद्ध हो जाने पर भी नम्र स्वभाव का है । वह अपने अच्छे व्यवहार का श्रेय अपने पिता को देता है । उसका कहना है- ”मैं जो कुछ भी हूं अपने पिता के कारण हूँ । उन्होंने मुझ में सादगी और ईमानदारी के गुण भर दिए हैं । 
        
          क्रिकेट के अतिरिक्त सचिन को संगीत सुनना और फिल्में देखना पसन्द है । सचिन क्रिकेट को अपनी जिन्दगी और अपना खून मानते हैं । क्रिकेट के कारण प्रसिद्धि पा जाने पर वह किस चीज का आनन्द नहीं ले पाते-यह पूछने पर वह कहते हैं कि दोस्तों के साथ टेनिस की गेंद से क्रिकेट खेलना याद आता है । 29 वर्ष और 134 दिन की उम्र में सचिन ने अपना 100वां टैस्ट इंग्लैण्ड के खिलाफ खेला । 5 सितम्बर, 2002 को ओवल में खेले गए इस मैच से सचिन 100वां टैस्ट खेलने वाला सबसे कम उम्र का खिलाड़ी बन गया । सचिन के क्रिकेट खेल की औपचारिक शुरुआत तभी हो गई जब 12 वर्ष की उम्र में क्लब क्रिकेट (कांगा लीग) के लिए उसने खेला ।    

        23 दिसम्बर 2012 को सचिन ने वन-डे क्रिकेट से संन्यास लिया और वहीँ 16 नवम्बर 2013 को मुम्बई के अपने अन्तिम टेस्ट मैच में उन्होंने 74 रनों की पारी खेलकर टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लिया. उस मैच में रोहित शर्मा का डेब्यू था। तेंदुलकर ने अपने कैरियर में 200 टेस्ट मैचों में 53.79 के बल्लेबाजी औसत के साथ 15921 रन बनाये जिसमे उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 246* रन था और वही उनके नाम 51 शतक और 68 अर्धशतक दर्ज है। गेदबाजी में उन्होंने 46 विकेट लिए. वही वनडे मैचों में सचिन ने 463 मैचों में 44.83 के बल्लेबाजी औसत के साथ 18426 रन बनाये जिसमे उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 200* रन था वही उनके नाम 49 शतक और 96 अर्धशतक दर्ज है.।उन्होंने वनडे मैचों में अपनी गेदबाजी से टीम के लिए 154 विकेट भी लिये। 

वर्ल्ड रिकॉर्ड : 

1) मीरपुर में बांग्लादेश के खिलाफ १०० वाँ शतक किया।
2) अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबलो में सबसे ज्यादा ३०००० रन बनाने का कीर्तिमान।
3) एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द सीरीज।
4) एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द मैच।
5) टेस्ट क्रिकेट १३००० रन बनने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर।
6) एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा (१८००० से अधिक) रन बनाये।7) एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुक़ाबले में सबसे ज्यादा ४९ शतक किये।
8) एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय विश्व कप मुक़ाबलों में सबसे ज्यादा रन।
9) सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा (51) शतक
10) सचिन तेंदुलकर का टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रनों का कीर्तिमान।1
11) एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले खिलाड़ी बने।
12)सबसे अधिक 90-100 के बीच OUT होन का रिकॉर्ड भी सचिन के नाम है। 

पुरूस्कार :

 • 1994    – अर्जुन पुरस्कार, खेल में उनके उत्कृष्ट उपलब्धि के सम्मान में भारत सरकार द्वारा
• 1997-98 – राजीव गांधी खेल रत्न, खेल में उपलब्धि के लिए दिए गए भारत के सर्वोच्च सम्मान
• 1999     – पद्मश्री, भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
• 2001     – महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार  2008     – पद्म विभूषण, भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
•2014     – भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार

 रोचक तथ्य :

सबसे अधिक 90-100 के बीच OUT होन का रिकॉर्ड भी सचिन के नाम है
बचपन में सचिन  fast bowler बनना चाहते थे
सचिन  1987 में India और  Zimbabwe के बीच होने वाले मैच में ball boy बने .
सचिन में एक मैच में पाकिस्तान के किये फील्डिंग की. हाँ आपने बिलकुल सही सुना सचिन ने एक दिन प्रैक्टिस मैच में १९८८ में Brabourne Stadium में पाकिस्तान के लिए फील्डिंग की .
पाकिस्तान में अपने पहले मैच में सचिन ने सुनील गावस्कर से मिले हुए Pad पहने .
सचिन सीधे हाथ से खेलते हैं पर लिखने के लिए उलटे हाथ का उपयोग करते हैं.
सचिन को  Rajiv Gandhi Khel Ratna, Arjuna Award and Padma श्री और भारत  रत्न अवार्ड्स मिले हैं.
सचिन को सोते में चलने और बोलने की आदत है .
सचिन को 1990 में champagne की बोतल मिले भी मिली जब उन्होंने मन ऑफ़ थे मैच मिला . पर उन्हें उसे खोलने की अनुमति नहीं थी क्योकि उनकी उम्र 18 साल से कम थी .



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